Poems on love, Love poems for her, Love poems in hindi|पोयम्स ऑन लव, लव पोयम्स फॉर हर - iloveshayariii
1. 💞💞तेरे लिए💞💞
अपनी जिन्दगी को, मुकम्मल बनाने के लिए,
तेरी जरूरत है मुझे, घर को बसाने के लिए।
रोज मिलता हूँ तुमसे, इसका सबब इतना है,
एक पल भी ना मिले, तुझको भुलाने के लिए।
मैं बात भी करता हूं, तो ये सोच कर पहले,
एक लफ़्ज न हो, दिल को दुखाने के लिए।
तेरी परवाह है हर वक्त, इस कदर मुझको,
सांस भी न लूं, जो निकले सताने के लिए।
मुहब्बत दिल से ना होती, तो छोड़ देता मैं,
तेरी जरूरत है, हयात आगे बढ़ाने के लिए।
अपने अहबाबों को तो, कब से मना रखा है,
चली आ तू भी, मेरे घर को सजाने के लिए।
तेरे इनकार पर भी, जीना तो नहीं छोडूंगा,
बचेगा जिस्म सिर्फ, मर के जलाने के लिए।
अपने प्यार पर, जो किसी ने लगाई तोहमत,
मैं जला लूंगा, पाक तुझको बताने के लिए।
2. ❤️मेरे ऐहसास ❤
कभी तेरा यूँ खिलखिलाना..कभी यूँ मायूस हो बाँहो मे सिमट जाना..कभी तेरे लबो से अपना नाम सुनना..और कभी तेरी आवाज को भी तरस जाना..
शिकवे..शिकायते..दुख..तकलीफ..खुशी..उमंग..तेरा चहकना..तेरा अपनी आँखो से दीदार करना..कितना कुछ कहने को..मगर बस ये दिल ए नादान..❤
कभी दूर तुमसे रहना सीख ही नही पाया..खुद को समझा नही पाया..खुद ही खुद से मिलकर..खुद से फिर अलग हो ना पाया..
मुकम्मल मोहब्बत नसीब नही मेरा..तू सब कुछ था मेरे लिए..फिर भी मेरा ना हो पाया..
ये दिल की तरकीबे भी ना..❤
3. ❤️Ek kitab likhungi❤️
Me hamari mohabbat par ek kitaab likhungi...
Jaha jaha tujhe likhungi waha waha khwaab likhungi
Apne khayal likhungi...Hamari pehli mulaqat likhungi
Aur tere bina jo kate din...Me un dino ka bhi hisab likhungi
Teri muskurahatein likhungi
Tera pyaar likhungi
Hamri aashiqi ke kuch kisse likhungi
Pehle ijhaar kiye hue lamhon ko likhungi
Baki sab to thik hain lekin me sbse pehle tumhri ye jhil se bhari aankhon ke ishare ka hunar likhungi
Hamari mohabbat ko me mukammal likhungi
Har kie wade ko pura likhungi
Aur ye muskurahat hain na
Ye tumse h jana...
Ye raaz me us kitaab me saaf saaf likhungi
Me hamari muqammal mohabbat pr ek kitaab likhungi😘
4.
तू कल्पना है या वहम मेरा
या जगती आंखों का ख्वाब है
पलके बेचैन है दीदार को
दिलो पे ये कैसा रूबाब है
चंद लम्हों के लिए आना
चित्त को अपना बना जाना
असर लफ्जो का छोड़ जाना
बेचैन सुबह शाम कर जाना
इंतजार हर पल आने का
ये हकीकत है या ख्वाब है
ठहरू या ठहर ही जाऊं अब
पढू या और पढ़ते ही जाऊं अब
ये कलम भी उठ नही रही अब
इतना ही लिखे की लिखते रहे हम
तू कल्पना है या वहम मेरा
या जगती आंखों का ख्वाब है
5. ये ही प्रेम है...
व्यक्ति जब अपने...
मन की बात को...
छिपाने लगता है...
बस उसी क्षणों से...
वो तनाव में रहने लगता है...
और यह तनाव उसे...
इतना व्याकुल_कर_देता_है...
जिससे कि वो नाही तो...
सोच पाता है और...
नाही कुछ समझने की...
स्थिति में होता है...
परस्पर आने वाले...
यह ही विचार...
उसे केवल_तृष्णा में...
जलाने लगते हैं...
ठीक उसी प्रकार...
जिस प्रकार व्यक्ति...
प्रेम में होकर भी...
उसे समझ न पाता...
अर्थात् उसे स्वीकार्य...
नहीं करता कि
वास्तविकता में...
उसका तनाव प्रेम है...
और इसका समाधान भी प्रेम_ही है_॥