Hindi poem|poem in hindi|love poems in hindi - iloveshayariii

Hindi poem|poem in hindi|love poems in hindi - iloveshayariii


मैं बनूँगा  देह सम, तुम गन्ध बन मिलना मुझे

बज उठूँगा राग सा, तुम छन्द बन मिलना मुझे।


तेरे पथ के शूल सब, आँखों से चुन लूँगा मैं

मैं तुम्हें बो दूँगा खुद में, सुगन्ध बन मिलना मुझे।


मैं बंधूंगा देह मन और वचन के साथ तुम से

चाह तुमसे कुछ नहीं, निर्बन्ध बन मिलना मुझे।


न तुझे मैं जानता, न जानने का मोह ही कुछ बाकी

है ललक अगले जनम, सम्बन्ध बन मिलना मुझे।


तेरी हर मर्यादा का और हर रिश्ते का मुझको मान है

पर ये अन्तिम चाह है, स्वच्छन्द बन मिलना मुझे!!

Hindi poem


ख़्वाब में कौन मेरे आया है किसने आखिर मुझे जगाया है,

ऐं मेरी जाँ ग़लत पता दे कर क्यों मुझे दर ब दर फिराया है,

हो गया मूंड सब खराब मेरा अटपटा सा ये क्या सुनाया है,

हमने जोड़ा नहीं है एक पैसा जो कमाया है सब लुटाया है,

हार नथनी क्रीम और क्या क्या उसने सामान मंगाया है,

 ज़ुल्फ़े बिखेर कर जानाँ किस क़दर जुल्म तुमने ढाया है,

 बात उससे नहीं हुई मेरी फोन उसने कहाँ उठाया है,

 हमसे खाने की बात करते हो आज तो हमने धोका खाया है,

 माँग लेते मैं यूँ ही दे देता दिल मेरा क्यों भला चुराया है,

 जिससे उम्मीद कुछ नहीं थी मुझे आज उसने मुझे मनाया है,

 जीत कर मुझसे मेरे दुश्मन ने मुझको भी खूब थपथपाया है,

 सुर्ख क्यों हैं बता तेरी आँखे क्या किसी ने तुझे रुलाया है,

 कोई आवाज़ सी सुनाई दी क्या किसी ने मुझे बुलाया है,

 जो मुझे जल्दी मालदार करे क्या कहीं यार कोई माया है,

 देख कर उसने मेरे चेहरे को क़हक़हा ज़ोर से लगाया है,

 सेलरी भी नहीं मेरी इतनी जितना घर का मेरे किराया है,

 अपने सीने पे रख के सर मेरा उसने मुझको बहुत सुलाया है,

 क्या हुआ जानेमन बताओ भी क्यों मेरे शाने को हिलाया है,

 तेरा रिश्ता भी हो गया अब तो मुझको तुमने ने ये बताया है,

 बाद मुद्दत के ए सूफी उसकी यादों हमको गले लगाया है!!


Poem in hindi


कुछ लोगो ने दौलत कमाई है ईमान बेच कर,

 महोब्बत रुठ गयी है हम से अरमान बेच कर।


वक्त बेवक्त जो चेहरा परेशान रहता है,

 खुश होता है वो ठेले वाला सामान बेच कर।


मजबुरी क्या होती है पूछिएगा उस बाप से,

 बेटी का ब्याह किया हो जिसने मकान बेच कर।


करते हैं कुछ लोग अपने पेशे का गलत इस्तेमाल,

डाक्टर कमा रहे है मरीजों की जान बेच कर।


सब कुछ होती है एक औरत के लिए आबरू अपनी,

एक माँ ने बच्चे को बचाया है अपनी आन बेच कर।


सियासतदान बेच रहे हैं मुल्क का कोना कोना,

बस चले तो खा जाये ऐ शमशान बेच कर।


जमीर मारकर करते हैं अपने वतन से गद्दारी,

 कैसे जी लेते हैं लोग पगड़ी की शान बेच कर.!!

Love poems in hindi

बात  इधर  उधर  तो   बहुत  घुमाई जा  सकती है

पर सच्चाई  भला  कब तक  छुपाई  जा सकती है  


खून से बना  कर   मां   बच्चे   को जो  पिलाती है 

उस  दूध की कीमत  कैसे   चुकाई  जा सकती  है


सहरा   की   प्यास   तो  समंदर   बुझा  सकता  है 

पर समंदर  की प्यास  कैसे  बुझाई  जा सकती  है


नहीं   हल  निकलता   गर   तोप  और   बंदूक   से 

लड़ाई   प्यार  से  भी  तो  सुलझाई जा  सकती  है


खींच  दी   है   दिलों   में   गर   दीवार   मजहब  ने  

उसमें कोई  खिड़की भी तो  बनाई  जा  सकती  है


किसी बेबस पे ज़ुल्म देख गर कुछ कर नहीं सकते

तो शर्म  से  यह   गर्दन  तो   झुकाई   जा सकती है 


मुश्किल  है  लड़ना  गर अकेले    किसी  बुराई  से 

उसके  खिलाफ़ मुहिम भी तो चलाई जा सकती है


दुनिया  भर  के  वैद्य  जब बेबसी  से  हाथ जोड़ दें

तो दुआ की ताकत भी तो  आजमाई जा सकती है 


अपनी  असलियत  तो  दौलत  से छुपा लेगा  कोई

पर   औकात  भला कब तक छुपाई  जा सकती है 


राह  मुश्किल  होती  है  ज़रा   वक़्त  लग  जाता  है 

दौलत तो  ईमानदारी   से  भी कमाई जा  सकती है


चलो   मान   लिया  हमने   कि  मुंसिफ बेगुनाह  है  

पर उस पर कोई तोहमत  तो  लगाई  जा  सकती है.!!

Hindi kavita


कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं।

जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। 


कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं।

कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं।। 


नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं।

मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं।। 


बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी।

मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।। 


अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीँ कहता।

फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं।। 


हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं।

च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं।।  


बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर।

मगर जब घर में हो जरूरत तो रिश्ते भूल जाते हैं।।

Kavita in hindi


खुद को इतना भी मत बचाया कर,

बारिशें हो तो भीग जाया कर।


चाँद लाकर कोई नहीं देगा,

अपने चेहरे से जगमगाया कर।


दर्द हीरा है, दर्द मोती है,

दर्द आँखों से मत बहाया कर।


काम ले कुछ हसीन होंठो से,

बातों-बातों में मुस्कुराया कर


कौन कहता है दिल मिलाने को,

कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर।

Love poems in hindi


जीवन के दरिया में 

एक कश्ती सा है मन 


कहती हैं...

हालात की लहरें,

कि सफ़र में अभी 

आज़माइश बाक़ी है!


समझाना मन को और 

समझना उसे...

कि साथ है जब तक ये 

हर गुंजाईश बाक़ी है।


Poems in hindi


तू कभी बिछड़ा नहीं और तू मिला भी नहीं


पर मुझे तुझसे कोई शिकवा नहीं, ग़िला भी नहीं..


तू भले मुझसे ख़फ़ा है और तू दूर भी है.


मगर तुझसे ऐ दोस्त दिल को फ़ासला भी नहीं..


मै कैसे दिखलाऊं तुझको दिल की सच्चाई.


एक अरसे से तू मुझसे गले मिला भी नहीं..


वो एक वक़्त था जब दिल से दिल मिले थे यहाँ


ये एक वक़्त है बातों का सिलसिला भी नहीं..


तू मुझे कुछ समझ मुझको तो तुझसे प्यार है दोस्त


तुझ सा कोई ढ़ूंढ़ा नहीं और मिला भी नहीं


मुझे पता है मुझ में लाख कमी हैं शायद.


ये बेरुख़ी मगर दोस्ती का सिला भी नहीं


कभी कभी मुझे लगता है कि भूल जाँऊं तुझे


मगर ये सच है मुझमें भूलने का हौंसला भी नहीं


तू खुश रहे ये दुआ मैं तेरी कसम रोज़ करता हूँ.


और अपने ग़म का मुझे अब कोई ग़िला भी नहीं


बस इक उम्मीद है तुझ को गले लगाऊँ कभी


कि वो एहसास मुझे फ़िर कहीं मिला भी नहीं..


Love poems in hindi


तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है,

और तू मेरे गांव को गँवार कहता है   //


ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है  //

तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है  //


थक  गया है हर शख़्स काम करते करते  //

तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।


गांव  चलो वक्त ही वक्त  है सबके पास  !!

तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है //


मौन  होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं  //

तू इस मशीनी दौर  को परिवार कहता है //


जिनकी सेवा में खपा  देते थे जीवन सारा,

तू उन माँ बाप  को अब भार कहता है  //


वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,

तू दस्तूर  निभाने को रिश्तेदार कहता है //


बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें //

तु  अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार  कहता है //


बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में  //

पूरा परिवार  भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है  //


अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं //

तू इस नये दौर  को संस्कार कहता है  //


Hindi poem


हर वक्त तेरा दुनिया में झुकना ठीक नहीं है।

ठोकर खाकर फिर ठोकर खाना ठीक नहीं है।।


औकात उन्हें उनकी बतला दो अब सूफ़ी।

हरदम नफरत पे प्यार जताना ठीक नहीं है।।


जो वक्त देख कर अपना रँग बदल लेते हैं।

ऐसे लोगों से दिल का लगाना ठीक नहीं है।।


दौलत खातिर जो मंदिर सा दिल तोड़ जाए।

इंसान जहां में वो रत्तीभर ठीक नहीं है।।


ऐसे लोगों से मतलब रखना बेमतलब है।

इन लोगों के घर आना जाना ठीक नहीं है।।


इतने भोले मत रहो जहां से सीखो कुछ तुम।

क्योंकि ये जमाना मुर्शद अब ठीक नहीं है!!






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